दोस्तों मैं आपको शालाक्य तंत्र को याद करने के लिए कुछ tricks बताने वाला हू। जिससे आपको BAMS चतुर्थ वर्ष मे शालाक्य तंत्र नेत्र रोगों को पढ़ने मे आसानी रहेगी। चलिए आगे पढ़ते है –
सबसे पहले हम लोग दोष अनुसार नेत्र रोग याद करते है जो की संख्या मे कुल 76 है।
Trick 1 – DD तेरा सोप दो।
D – दस 10 = वात
D – दस 10 = पित्त
तेरा 13 = कफ
तेरा 13 = कफ
सो – सोलह 16 = रक्तज
प – पाचीस 25 = सर्वज
दो 2 = बाहरी
अब हम लोग अधिष्ठान भेद से नेत्र रोगों को याद करेंगे। इस trick से आपको नेत्र रोग के सभी chapter के नाम भी याद हो जाएंगे।
Trick 2 – संध्या बाई से कहो सब्जी दे।
संध्या – संधिगत नेत्र रोग(9)
बाई – वर्त्मगत नेत्र रोग(21)
से – शुक्लगत नेत्र रोग(11)
कहो – कृष्णगत नेत्र रोग(4)
सब्जी – सर्वगत नेत्र रोग(17)
दे – दो बाहरी नेत्र रोग(2)
अब हम दोस्तों नेत्र पटल याद करने के लिए trick देखते है। नेत्र पटलों की संख्या 6 होती है।
Trick 3 – आज के मांस मे अस्थि है।
अक्षिगोलक – 4 (आज के मांस मे अस्थि है। )
प्रथम पटल – आ+ज – अग्नि और जल आश्रित
(“के” से कुछ नहीं है)
द्वितीया पटल – मांस से मांस आश्रित
तृतीया पटल – मे से मेद आश्रित
चतुर्थ पटल – अस्थि से अस्थि आश्रित
वर्त्मपटल – 2
चिकित्सा की दृष्टि से नेत्र रोगों के 8 भेद किए गए है। चलिए उन्हे भी याद करने की कोशिश करते है।
Trick 4 – छेनु भाई लाया बकरी और यहा आया
छेनु – छेध रोग – (11)
भाई – भेध रोग – (5)
लाया – लेख्य रोग – (9)
बकरी – व्यध्य रोग – (15)
और – अशसत्रकृत्य – (12)
यहा – याप्य – (7)
आया – असाध्य – (15)
*बहारी – बाहरी नेत्र रोग हमेशा 2 होते है।
सुश्रुत के अनुसार कर्णपालि के रोग (5)
Trick 5 परिपोट परिलेही उन उत्पातो से दुखी है।
परिपोट – परिपोट
परिलेही – परिलेही
उन – उनमंथ
उत्पातो – उत्पात
दुखी – दुखवर्धन
कर्णगत रोग नाम / संख्या (28)
Trick 6 शुना पासा छोड़ के वचा पूत को 𝗕𝗲𝗰𝗮𝘂𝘀𝗲 बहरा कृमि प्रत्यक विद्रधि में कण्डु और शोफ करके अर्श को अर्बुद बना देगा |
शु-कर्णशूल
ना-कर्णनाद
पा-कर्णपाक
सा-कर्णस्राव
छोड़-कर्णक्षडेव
वचा-कर्णवच (कर्णगूथ)
पूत-पुतिकर्ण
बहरा-वाधिर्य
कृमि-कृमिकर्ण
प्रत्यक-प्रतिनाह
2 विद्रधि– (𝗔)दोषज विद्रधि ,(𝗕)अभिघातज विद्रधि कण्डु-कर्णकण्डु
4 शोफ– कर्णशोफ(𝗩𝗣𝗞𝗦)
4 अर्श-कर्णअर्श (𝗩𝗣𝗞𝗦)
7 अर्बुद– कर्णअर्बुद (𝗩𝗣𝗞𝗦+ रक्त,मांस,मेद)
शुक्लगत रोग (11) के नाम
Trick 7 अर्जुन दोनों सिराओ से पांचोअर्मो की शुक्ति की पिष्टी बलपूर्वक बनाते है
अर्जुन -अर्जुन
दो सिरा -सिराजाल सिरापीड़िका
पांच अर्म -𝗦𝗦𝗔𝗣𝗦 (स्नायु, क्षतज, अधिमांसज, प्रस्तारी, शुक्ल)
शुक्ति – शुक्तिका
पिष्टी -पिष्टक
बल -बलासग्रथित
वर्त्मगत रोग (21) के नाम
Trick 8 –
1.पोथी और कुम्भी के निमेष में अञ्जन लगाने से पक्ष्म में अर्बुद और वर्त्म में अर्श संग संग होता है
2.विषज शर्करा खाने से कदम्ब का वातज अर्श बहने लगा जिससे श्याव किल्नन होकर किलष्ट हो गया
पोथी –पोथकी
कुम्भी-कुम्भीका
निमेष-निमेष
अञ्जन-अञ्जनामिका
लग-लगण
पक्ष्म-पक्ष्मकोप
अर्बुद-वर्त्मअर्बुद
वर्त्म-वर्त्मबंधक
अर्श-शुष्कार्श , शोणितार्श
संग संग-उत्संगीनी
विषज-विसवर्त्म
शर्करा-वर्त्मशर्करा
कदम्ब-वर्त्मकर्दम
वात-वातहतवर्त्म
अर्श-अर्शोवर्त्म
बहने-बहलवर्त्म
श्याव-श्याववर्त्म
किल्नन-क्लिन्नवर्त्म , अक्लिन्नवर्त्म
किलष्ट-किलष्टवर्त्म
शालाक्य तंत्र के विभीन्न तंत्र
Trick 9 काका ने गर्ग को 100 गाली दी विधये निमि कसा
का-काकायन तंत्र
का -काव्यायेन तंत्र
गर्ग -गार्ग्य तंत्र
100-शौनक भद्र शौनक
गाली-गालय
विधये-विधये तंत्र
निमि-निमि तंत्र
क-कराल तंत्र
सा-सारियायिक तंत्र
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